यदि नील की खेती करने से छूट चाहते, तो नील के किसानों को कौन-सी क्षतिपूर्ती कर देना पड़ता था?
A) बट्टा
B) जजिया
C) तवान
D) नज़राना
Answer : C
Description :
ब्रिटिश प्रशासन और जमींदारों ने "तीन कठिया" प्रणाली की स्थापना की थी जिसके अंतर्गत एक बीघा में तीन कट्ठा भूमि नील की खेती के लिए आरक्षित थी। किसानों को नील की खेती की लागत उठानी पड़ी और ब्रिटिश खेतमालिक किसानों की क्षतिपूर्ति किए बिना ही उपज रख लेते थे। इतना ही नहीं, उन पर लगाए गए विभिन्न करों के माध्यम से उनका भी शोषण किया गया। मारवा और सगोरा जैसे कारखानों में नील देने के दौरान किसानों को कई करों का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इन किसानों से 'तवान' नामक क्षतिपूर्ति कर देना होता था।
Related Questions - 2
अमरुद उत्पादन में भारत के राज्यों में बिहार का स्थान कौन-सा है?
A) प्रथम
B) द्वितीय
C) तृतीय
D) चतुर्थ
Related Questions - 3
बिहार में नूहानी राज्य का संस्थापक कौन था ?
A) जलाल खां नूहानी
B) मुहम्मद शाह नूहानी
C) दौलत खां लोदी
D) दरिया खाँ नूहानी
Related Questions - 4
बिहार राज्य विद्युत परिषद् राज्य का सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम है। जिसका गठन हुआ था-
A) 1 अप्रैल, 1948
B) 1 अप्रैल, 1958
C) 1 अप्रैल, 1938
D) 1 अप्रैल, 1928
Related Questions - 5
मौर्य साम्राज्य का केन्द्रीय न्यायालय कहाँ स्थित था ?
A) सुवर्णगिरी में
B) पाटलिपुत्र में
C) अति में
D) वैशाली में