टूट चाप नहिं जुरै रिसाने का अर्थ है -
A) टूटा धनुष क्रोध करने से नहीं जुड़ता
B) चिन्ता छोड़ो सुख से जिओ
C) नुकसान के लिए परेशान नहीं होना चाहिए
D) नुकसान हो जाने पर क्रोध करना व्यर्थ है
Answer : D
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निर्देश :- नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न में वाक्य के पहले और अंतिम भागों को क्रमश: 1 और 6 की संख्या दी गयी है | इनके बीच में आने वाले अंशो को चार भागों में बाँटकर य, र, ल, व, की संख्या दी गयी है | ये चारों भाग उचित क्रम में नहीं हैं इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए जिससे वाक्य का निर्माण हो |
(1) हमें यह समझ लेना चाहिए कि
(य) एक सुन्दर स्वरुप है और यह भी मानना होगा कि
(र) धर्म की भाषा अधिक स्पष्ट, मूर्त्त और परिष्कृत
(ल) होती गई है और इसके लिए बहुत हद तक
(व) धर्म मानव जाति की मूलगत अनुभूनितों का
(6) विज्ञान ही उत्तरदायी है।
A) य र ल व
B) र ल व य
C) व य र ल
D) व य ल र
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बड़े न हुजे बिनु विरद बड़ाई पाए।
कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाए।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?
A) अतिशयोक्ति
B) प्रतिवस्तूपमा
C) अर्थान्तरन्यास
D) विरोधाभास
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निम्नलिखित में कौन सा शब्द ‘निशीथ’ का पर्यायवाची नहीं हैं?
A) रात्रि
B) रजनी
C) तम
D) निशा