Question :
A) अपनी ही प्रशंसा करना
B) अपनी बनाई हुई वस्तु सबको अच्छी लगती है
C) किसी को बोलने नहीं देना
D) दूसरों की वस्तु को तुच्छ समझना
Answer : B
कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है का अर्थ है -
A) अपनी ही प्रशंसा करना
B) अपनी बनाई हुई वस्तु सबको अच्छी लगती है
C) किसी को बोलने नहीं देना
D) दूसरों की वस्तु को तुच्छ समझना
Answer : B
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निर्देश :- नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न में वाक्य के पहले और अंतिम भागों को क्रमश: 1 और 6 की संख्या दी गयी है | इनके बीच में आने वाले अंशो को चार भागों में बाँटकर य, र, ल, व, की संख्या दी गयी है | ये चारों भाग उचित क्रम में नहीं हैं इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए जिससे वाक्य का निर्माण हो |
(1) वैसे देखा जाए तो
(य) प्रकृति स्वयं उस शक्ति का निर्माण करती है, जो
(र) नाना प्रकार के दाहक और पाचक रसों के रुप में
(ल) उदर के भीतर कोई अग्नि की ज्वाला नहीं है, किन्तु
(व) नाना भाँति के खाद्य पदार्थो अर्थात् भोज्य को
(6) पचा सकती है।
A) ल य र व
B) य र व ल
C) ल र य व
D) र य व ल
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‘जलमग्न’ शब्द में समास होगा।
A) द्वन्द् समास
B) अव्ययीभाव समास
C) तत्पुरुष समास
D) कर्मधारय समास