Question :
A) अपनी ही प्रशंसा करना
B) अपनी बनाई हुई वस्तु सबको अच्छी लगती है
C) किसी को बोलने नहीं देना
D) दूसरों की वस्तु को तुच्छ समझना
Answer : B
कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है का अर्थ है -
A) अपनी ही प्रशंसा करना
B) अपनी बनाई हुई वस्तु सबको अच्छी लगती है
C) किसी को बोलने नहीं देना
D) दूसरों की वस्तु को तुच्छ समझना
Answer : B
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तबेली की बला बन्दर के सिर का अर्थ है -
A) किसी की शिकायत दूसरों से करना
B) एक-दूसरे से लड़वाना
C) किसी का अपराध दूसरे के सिर
D) अपना दोष दूसरों के सिर पढ़ना
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अति मलीन वृषभानुकुमारी।
अधोमुख रहति, उरध नहिं चितवत, ज्यों गथ हारे थकित जुआरी।
छूटे चिहुर बदन कुम्हिलानों, ज्यों नलिनी हिमकर की मारी।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?
A) अनुप्रास
B) उत्प्रेक्षा
C) रुपक
D) उपमा
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हम जो कुछ देख रहे हैं, सुन्दर है सत्य नहीं है।
यह दृश्य जगत भासित है, बिन कर्म शिवत्व नहीं है।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद है ?
A) 14-14 मात्राओं की यति से 28 मात्राओं वाला मात्रिक छंद
B) 10-10 वर्णो की यति से 20 वर्णो वर्णिक छंद
C) 13-13 मात्राओं की यति से 26 मात्राओं वाला मात्रिक छंद
D) 15-15 मात्राओं की यति से 30 मात्राओं वाला मात्रिक छंद
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हँसुए के ब्याह में खुरपी का गीत का अर्थ है -
A) शादी का गीत गाना
B) जश्न मनाना
C) असंगत बातें करना
D) निचले स्तर का कार्य करना