Question :

‘द्वार-द्वार भटकना’ में प्रयुक्त द्विरुक्ति ‘द्वार-द्वार’ है-


A) पारस्परिक सम्बन्ध बताने के अर्थ में
B) अतिशयता प्रकट करने के अर्थ में
C) भेद बताने के अर्थ में
D) समग्रता प्रकट करने के अर्थ में

Answer : D

Description :


‘द्वार-द्वार’ संज्ञा शब्द की द्विरुक्ति है। द्विरुक्ति का अर्थ है- दुहराना अर्थात् एक उक्ति को दो बार उच्चरित करना। इसकी रचना सार्थक शब्दों की आवृत्ति से होती है। प्रस्तुत वाक्य में ‘द्वार-द्वार’ द्विरुक्ति का प्रयोग ‘समग्रता प्रकट करने के अर्थ में’ हुआ है।


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निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द समूहवाचक संज्ञा नहीं है?


A) सभा
B) कक्षा
C) भीड़
D) दौड़

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समुद्रगुप्त ‘भारत का नेपोलियन’ था। यहाँ नेपोलियन किस प्रकार की संज्ञा का उदाहरण है?


A) व्यक्तिवाचक
B) जातिवाचक
C) भाववाचक
D) समूहवाचक

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जिस संज्ञाओं से एक ही प्रकार की वस्तुओं अथवा व्यक्तियों का बोध हो उन्हें कहते हैं-


A) व्यक्तिवाचक संज्ञा
B) जातिवाचक संज्ञा
C) भाववाचक संज्ञा
D) द्रव्यवाचक संज्ञा

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‘हिमालय’ किस प्रकार की संज्ञा है?


A) व्यक्तिवाचक
B) जातिवाचक
C) भाववाचक
D) समूहवाचक

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‘शूर’ की भाववाचक संज्ञा क्या है?


A) शौर्य
B) शूरपन
C) शौर्यता
D) शूरवीरता

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