Question :

‘कल्पांत’ मे दीर्घ सन्धि है, इसका विच्छेद ‘कल्प + अंत’ होता है।


A) गुण सन्धि
B) यण् सन्धि
C) दीर्घ सन्धि
D) व्यंजन सन्धि

Answer : C

Description :


‘कल्पांत’ में दीर्घ संधि है, इसका विच्छेद 'कल्प + अंत' होता है |

जब ह्रस्व या दीर्घ ‘अ, इ, उ, ऋ, लृ’ के बाद ह्रस्व अथवा दीर्घ ‘अ, इ, उ, ऋ, लृ’ समान वर्ण आते हैं, तो दोनों के स्थान पर दीर्घ (आ, ई, ऊ, ऋ) आदेश हो जाता है। दीर्घ सन्धि को ‘सवर्ण दीर्घ’ सन्धि भी कहते हैं।

 

जैसे-

अ/आ + अ/आ = आ

परम + आनंद = परमानंद     परम + आवश्यक = परमावश्यक

इ/ई + इ/ई = ई

कवि + इच्छा = कवीच्छा       अति + इव = अतीव

उ/ऊ + उ/उ = ऊ

लघु + ऊर्मि = लघूर्मि          धातु + ऊष्मा = धातुष्मा

ऋ/ऋ + ऋ/ऋ = ऋ

मातृ + ऋण = मातृण         पितृ + ऋण = पितृण


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‘बृहस्पति’ का सन्धि-विच्छेद है-


A) बृहस + पति
B) बृहस् + पति
C) बृहः + पति
D) बृहश + पति

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‘पित्राज्ञा’ शब्द में कौन-सी संधि है-


A) गुण संधि
B) वृद्धि संधि
C) यण् संधि
D) अयादि संधि

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निम्नलिखित में से कौन-सा संधि-विच्छेद, व्यंजन संधि से संबंधित नहीं है?


A) निः + सन्देह
B) सम् + सार
C) जगत् + नाथ
D) तत् + लीन

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‘परमार्थ’ का संधि-विच्छेद है-


A) परम + अर्थ
B) पर + अर्थ
C) पर + आर्थ
D) परमो + अर्थ

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विसर्ग से पहले ‘इ’ या ‘उ’ हो और बाद में ‘क’, ‘ख’, ‘ट’, ‘ठ’, ‘प’, ‘फ’ में से कोई वर्ण हो, तो विसर्ग का _________________ हो जाता है।


A)
B)
C)
D)

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