Bihar Police Constable Mock Test in Hindi
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Question - 1


निर्देश (1-5) : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।

 

लेकिन ढाई हजार वर्ष पहले जब गौतम बुद्ध इन नदियों के किनारे-किनारे पाटलिपुत्र से मल्लों, मौर्यों और शाक्यों को उपदेश देने जाया करते थे तब ये नदियाँ संयमित थीं। घना जंगल था और वृक्षों की जड़ों में पानी रुका रहता था। बाढ़ आती थी पर इतनी प्रचंड नहीं। पिछला छह-सात साल में महावन, जो चम्पारण से गंगा तक फैला हुआ था कटना चला गया ऐसे ही जैसे अगणित मूर्तियों का भंजन होता गया। वृक्ष भी प्रकृति देवी, वनश्री की प्रतिमाएँ हैं। वसुंधरा भोगी मानव-एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

 

एक कहानी सुनी। यहाँ बारहवीं सदी से लगभग तीन सौ वर्ष तक कर्णाट वंश का राज्य था। प्रथम राजा नान्यदेव, चालुक्य नृपति सोमेश्वरपुत्र विक्रमा-दित्य के सेनापति, नेपाल और मिथिला की विजय बने। वह घाना वन मजबूत और मोती प्राचीरों से अधिक दुर्भेद्य जान पड़ा। सुल्तान घोड़े से उतरा और तलवार से उसने एक विशाल विटप के तने पर आघात किया। उसके गिरते ही बिजली सी दौड़ गई उसके सैनिकों में, और हजारों तलवारें घने वन के वृक्षों पर टूट पड़ीं। देखते ही देखते जंगल के बीच रहा खुलती चली गई। हरसिंघदेव का गढ़ अपना घोंसला खो बैठा और उन्हें नेपाल भाग जाना पड़ा।

 

तब से जंगल जो काटने शुरु हुए तो कटते ही आ रहे है। नीचे धरती उपजाऊ मिलती है, राशि शस्यों की खान, जहाँ बीज डालने भर की दरकार है, घने जंगलों की स्मृति में मानो पैदावार ललक उठती है। योन चाहे सात सौ वर्ष पूर्व आक्रमणकारी की तलवार ने जंगों के द्वारा खोले थे, अब तो हल और ट्रैक्टर ही धरती के खजाने को अनावृत कर रहे हैं।

 

इस धरती के निवासी भी प्राचीन और नवीन के मिश्रण हैं। जान पड़ता है, आदिकाल से आने-जानेवालों का ताँता बंधा रहा है। जंगल से छीनी गई धरती को जोतने के लिए पुष्ट हाथ प्रायः बाहर से ही आते रहे हैं। पिछले पाँच सात सौ वर्षों में थारु और धाँगड़ जातियाँ यहाँ आकर बसीं। थारुओं के उद्भव के विषय में अनेक मत हैं। वे लोग अपने को आदिवासी नहीं मानतेय थारु शब्द को थार-राजस्थान से निकला मानते हैं।

 

धांगड़ों को 18वीं शताब्दी के अंत में लाया गया, नील की खेती के सिलसिले में, ये लोग दक्षिण बिहार के छोटा नागपुर पत्थर से लाए गए, और वहाँ की आदिवासी जातियों-ओरांव, मुंडा, लोहार इत्यादि के ये वंशज हैं। धांगड़ शब्द का अर्थ है ओरांव भाषा में भाड़े का मजदूर। इनके लोकगीतों में दो सौ वर्ष वर्ष पूर्व के उस महाप्रस्थान की कथा बिखरी हुई है जब नील के खेतों में काम करने के लिए अँग्रेज साहब और रामनगर के तत्कालीन राजा इन्हें यहाँ लाए और उसके बाद इन्हें लगभग गुलामी का जीवन बिताना पड़ा।

 

प्रश्न-1 : निम्नलिखित में से कौन पाटलिपुत्र के किनारे-किनारे मौर्यों और शाक्यों को उपदेश देने जाया करते थे?



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