Bihar Police Constable Mock Test in Hindi
Question - 1
निर्देश (1-5) : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।
इन सबसे भिन्न रविन्द्रनाथ, प्रसाद और प्रेमचंद्र जैसे कवियों और रोमांटिक चिंतकों में नारी का जो रुप प्रकट हुआ, वह भी उसका अर्धनारीश्वर रुप नहीं है। प्रेमचंद जी ने कहा की- पुरुष जब नारी का गुण लेता है तब वह देवता बन जाता किन्तु जब नारी नर का गुण सीखती है तब वह राक्षसी हो जाती हैं। इसी प्रकार प्रसाद जी ने इड़ा के विषय में यदि यह कहा जाए की इड़ा वह नारी है जिसने पुरुषों के गुण सीखे हैं तो निष्कर्ष यही निकलेगा कि प्रसाद जी भी नारी को पुरुषों के क्षेत्र से अलग ही रखना चाहते थे और रविन्द्रनाथ का मत तो और भी स्पष्ट है, वे कहते थे कि नारी की सार्थकता उसकी भंगिमा के मोहक और आकर्षक होने में हे, केवल पृथ्वी की शोभा, केवल आलोक, केवल प्रेम की प्रतिमा बनने में है। कर्मकीर्ति, वीर्यबल और शिक्षा दीक्षा लेकर वह क्या करेगी?
मेरा अनुमान है कि ऐसी प्रशस्तियों को ललनाएँ अभी भी बुरा नहीं मानतीं। सदियों की आदत और अभ्यास से उनका अंतर्मन भी यही कहता है कि नारी जीवन की सार्थकता पुरुष को रिझाकर रखने में है। यह सुनना उन्हें बहुत अच्छा लगता है कि नारी स्वप्न है, नारी सुगंध है, नारी पुरुष की बाँह में झूलती हुई जूही की माला है, नारी नर के वक्षस्थल पर मंदार का हार है। किन्तु यही वह पराग है जिसे अधिक से अधिक उड़ेल कर हम नवयुग के पुरुष नारियों के भीतर उठने वाले स्वातंर्त्य के स्फुलिंगों का मंद रखना चाहते हैं।
यतियों का अभशप्त काल समाप्त हो गया है। अब नारी की खान और पुरुषों की बाधा नहीं मानी जाती हैं। वह प्राण का उद्गम, शक्ति का स्रोत और पुरुषों की क्लांति की महौषधि हो उठी हैं। फिर भी, नारी अपनी सही जगह नहीं पहुँची है, पुरुष नारी से अब यह कहने लगे हैं कि-तुम्हें घर से बाहर निकलने की क्या आवश्यकता है? कमाने के लिए मैं ही काफी हूँ! तुम घर बैठे खर्च किया करो! किंतु इतना ही यथेष्ठ नहीं है। नारियों को सोचना चाहिए कि पुरुष ऐसा कहता क्यों है। स्पष्ट ही, इसीलिए की नारी को वाज अपनी क्रीड़ा की वास्तु मंटा है, आराम के समय अपने मनोविनोद का साधन समझता है। इसलिए, वह नहीं चाहता कि आनंद की इतनी अच्छी मूर्ति पर या थोड़ा भी धुंए का धब्बा लगे!
प्रश्न-1 : प्रेमचंद जी के अनुसार-