Bihar Police Constable Mock Test in Hindi
Question - 1
निर्देश (1-5) : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।
दिवस की ज्वाला और तप्त धूप, ये पुरुष की लाई हुई चीजें हैं। कामिनी तो अपने साथ यामिनी की शांति लाती है। किंतु कवि की यह कल्पना झूठी है। यदि आदि मानव और आदि मानवी आज मौजूद होते तो ऐसी कल्पना से सबसे अधिक आश्चर्य उन्हें ही होता। और वे, कदाचित कहते भी की आपस में धूप और चाँदनी का बँटवारा हमने नहीं किया। हम तो साथ-साथ जन्मे थे तथा धूप और चाँदनी में, वर्षा और आतप में साथ ही घूमते भी थे। बल्कि आहार संचय को भी हम साथ ही निकालते थे और अगर कोई जानवर है पर टूट पड़ता तो हम एक साथ उसका सामना भी करते थे। उन दिनों नर बलिष्ठ और नारी इतनी दुर्बल नहीं थी, ना आहार के लिए ही एक दूसरे पर अवलंबित रहना पड़ता था। नारी की पराधीनता तब आरंभ हुई जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया जिसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा। यहाँ से जिंदगी दो टुकड़े में बँट गई। घर जीवन सीमित और बाहर का जीवन निस्सीम होता गया एवं छोटी बड़ी जिदंगी के अधिकाधिक अधीन होती चली गई। नारी की पराधीनता का यह संक्षिप्त इतिहास है।
मादा पशुओं में भी और पक्षियों में भी। किंतु पशुओं और पक्षियों ने अपनी मादाओं पर आर्थिक पर्वश्ता नहीं लादी। लेकिन, मनुष्य की मादा पर यह पराधीनता आप से आप लद गई और इस पराधीनता ने नर नारी वह सहज दृष्टि भी छीन ली जिससे नर पक्षी अपनी मादा को या मादा अपने नर को देखती है कृषि का विकास सभ्यता का पहला सोपान था, किंतु पहली ही सीढ़ी पर सभ्यता ने मनुष्य से भारी कीमत वसूल कर ली। आज प्रत्येक पुरुष अपनी पत्नी को फूलों सा आनंदमय भार समझता है और प्रत्येक पत्नी अपने पति को बहुत कुछ उसी दृष्टि से देखती है जिस दृष्टि से लता अपने वृक्ष को देखती है।
पराधीनता के कारण नारी अपने अस्तित्व अधिकारिणी नहीं रही। उसके सुख और दुख, प्रतिष्ठा और अप्रतिष्ठा यहाँ तक कि जीवन और मरण पुरुष की मर्जी पर टिकने लगी।
प्रश्न-1: कवि के अनुसार स्त्री और पुरुष किस-किस चीज के निर्माण के कारक हैं?